HANUMAN CHALISA OPTIONS

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“Diseases is going to be finished, all pains will likely be long gone, whenever a devotee repeatedly repeats Hanuman the brave’s title.”

Currently being fully conscious of The shortage of my intelligence, I pray to you personally the son of Pavan, the Wind God (Hanuman). I humbly inquire you to grant me power, intelligence and knowledge and choose away all my afflictions and shortcomings.

व्याख्या – जो मन से सोचते हैं वही वाणी से बोलते हैं तथा वही कर्म करते हैं ऐसे महात्मागण को हनुमान जी संकट से छुड़ाते हैं। जो मन में कुछ सोचते हैं, वाणी से कुछ दूसरी बात बोलते हैं तथा कर्म कुछ और करते हैं, वे दुरात्मा हैं। वे संकट से नहीं छूटते।

Hanuman leaps and finds the mountain. There, states Ramayana, Hanuman finds the mountain is stuffed with several herbs. He doesn't know which just one to take. So, he lifts all the Himalayan mountain and carries it across India to Lanka for Lakshmana. His enormous energy thus aids Lakshmana Recuperate from his wound.[60] This legend is the popular basis for the iconography in which He's proven traveling and carrying a mountain on his palm.[sixty one]

People that take refuge in You, obtain the many comforts and contentment. When Now we have a protector such as you, we don't need to get fearful of any one or just about anything.

व्याख्या – श्री हनुमान जी महाराज राम के दुलारे हैं। तात्पर्य here यह है कि कोई बात प्रभु से मनवानी हो तो श्री हनुमान जी की आराधना करें।

श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ॥११॥ रघुपति कीह्नी बहुत बड़ाई ।

जै जै जै श्री कुबेर भण्डारी । धन माया के तुम अधिकारी ॥ तप तेज पुंज निर्भय भय हारी ।..

असुर निकन्दन राम दुलारे ॥३०॥ अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता ।

भावार्थ – आपकी इस महिमा को जान लेने के बाद कोई भी प्राणी किसी अन्य देवता को हृदय में धारण न करते हुए भी आपकी सेवा से ही जीवन का सभी सुख प्राप्त कर लेता है।

बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि ॥

व्याख्या – संसार में मनुष्य के लिये चार पुरुषार्थ हैं – धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। भगवान के दरबार में बड़ी भीड़ न हो इसके लिये भक्तों के तीन पुरुषार्थ को हनुमान जी द्वार पर ही पूरा कर देते हैं। अन्तिम पुरुषार्थ मोक्ष की प्राप्ति के अधिकारी श्री हनुमन्तलाल जी की अनुमति से भगवान के सान्निध्य पाते हैं।

तिन के काज सकल तुम साजा ॥२७॥ और मनोरथ जो कोई लावै ।

He will be a part of humanity for good, though the Tale of Rama life on and the Tale will go on since the gods recite the story always. Consequently, He'll Dwell forever.[fifty five]

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